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फर्जी आईटीआर पर 200% जुर्माना व 7 साल जेल
फर्जी आईटीआर दावों पर सजा का विवरण
आयकर विभाग ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि यदि कोई करदाता आईटीआर में फर्जी दावा करता है और विभाग का एआई सिस्टम इसे पकड़ लेता है, तो उसे निम्नलिखित दंड का सामना करना पड़ सकता है :
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जुर्माना: टैक्स देनदारी का 200% तक जुर्माना ।
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ब्याज: सालाना 24% की दर से ब्याज देय होगा ।
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कारावास: 7 साल तक की जेल की सजा हो सकती है ।
एआई सिस्टम कैसे काम करता है?
आयकर विभाग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग शुरू किया है, जो हर छोटी-बड़ी गड़बड़ी को पकड़ रहा है ।
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डेटा क्रॉस-वेरिफिकेशन: AI सिस्टम अब ITR में किए गए दावों की तुलना TDS डेटा, बैंक के रिकॉर्ड और Annual Information Statement (AIS) से करता है। थोड़ी सी भी असंगति होने पर ऑटोमेटेड नोटिस जारी कर दिया जाता है 1।
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पारदर्शिता: अब सिर्फ फॉर्म भर देना काफी नहीं है, हर दावे के लिए मजबूत दस्तावेजी सबूत की आवश्यकता होती है ।
किन दावों का दुरुपयोग हो रहा है?
विभाग ने पाया है कि मुख्य रूप से निम्नलिखित धाराओं के तहत फर्जी दावे किए जा रहे हैं :
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सेक्शन 10(13A): मकान किराया भत्ता (HRA) के नाम पर फर्जी दावे।
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सेक्शन 80C, 80D, 80E: बचत, मेडिकल बीमा और शिक्षा ऋण पर ब्याज की कटौती।
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सेक्शन 80G और 80GGC: धर्मार्थ दान और राजनीतिक दलों को दान की छूट का गलत इस्तेमाल।
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सेक्शन 80DDB: गंभीर बीमारियों के इलाज पर कटौती।
फर्जीवाड़े के तरीके
जांच में सामने आया है कि कुछ आईटीआर तैयार करने वाले और बिचौलिए संगठित रैकेट चला रहे हैं। वे लोगों को 'गारंटीड रिफंड' का लालच देकर फर्जी दस्तावेज बनवाते हैं और झूठे दावे करते हैं । इसमें शामिल हैं:
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फर्जी किराया रसीदें (HRA के लिए) ।
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फर्जी मेडिकल बिल या दान की रसीदें ।
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फर्जी शिक्षा ऋण या होम लोन के दावे ।
अब तक की कार्रवाई और प्रभाव
विभाग की सख्त कार्रवाई और AI की निगरानी का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है:
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40,000 से अधिक करदाताओं ने स्वेच्छा से अपने रिटर्न संशोधित किए हैं ।
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1,045 करोड़ रुपये से अधिक के फर्जी दावे वापस लिए गए हैं ।
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देशभर में 150 से अधिक स्थानों पर छापेमारी और जांच की गई है
गलती सुधारने का मौका
अगर किसी करदाता से गलती से भी कोई फर्जी दावा हो गया है, तो आयकर विभाग ने सुधार का एक रास्ता खुला रखा है :
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ITR-U फॉर्म के जरिए पिछले चार साल तक की गलतियों को सुधारा जा सकता है ।
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इस सुधार की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 है और इस पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा ।
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एक बार संशोधित रिटर्न दाखिल करने के बाद उसका ऑनलाइन सत्यापन (e-verification) within 30 days कराना जरूरी है ।
करदाताओं के लिए सलाह
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सही जानकारी दें: आईटीआर भरते समय केवल वास्तविक दस्तावेजों और आंकड़ों के आधार पर ही दावे करें ।
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फॉर्म 26AS और AIS जांचें: रिटर्न दाखिल करने से पहले इन दस्तावेजों से अपने टीडीएस और आय का मिलान अवश्य कर लें ।
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बिचौलियों से सावधान रहें: ऐसे एजेंट्स से सावधान रहें, जो बिना कागजात के 'बड़ा रिफंड' दिलाने का दावा करते हैं ।
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समय रहते सुधार लें: अगर कोई गलती हो गई है तो ITR-U फॉर्म का इस्तेमाल करके उसे तुरंत सुधार लें ।
दंड से संबंधित महत्वपूर्ण धाराएं
फर्जीवाड़े के लिए दंड इनकम टैक्स एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दिया जाता है :
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धारा 270A: आय छुपाने या फर्जी दावे करने पर 50% से 200% तक जुर्माना।
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धारा 276C: कर चोरी करने के इरादे से फर्जीवाड़ा करने पर 6 महीने से 7 साल तक की कैद।
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धारा 277: झूठे बयान देने पर भी कारावास की सजा।
क्या हुआ |
परिणाम (दंड) |
कानूनी धारा |
फर्जी कटौती का दावा |
टैक्स का 200% जुर्माना + 24% ब्याज |
धारा 270A |
जानबूझकर कर चोरी |
6 महीने से 7 साल की जेल |
धारा 276C |
झूठे दस्तावेज जमा करना |
जुर्माना + कारावास |
धारा 277 |
अंत में, सलाह यही है कि कर में छूट पाने के लालच में कभी भी गलत या फर्जी दावे न करें। टेक्नोलॉजी के इस युग में विभाग के पास इतने उन्नत टूल्स हैं कि छोटी से छोटी गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है, जिसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं । ईमानदारी से टैक्स भरना और सही जानकारी देना ही सबसे सुरक्षित रास्ता है।
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