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7 साल बाद बेसिक स्कूलों में होंगे जिले के अंदर तबादले

परिषद के अनुसार जिले के अंदर स्वेच्छा से तबादला व समायोजन अधिक शिक्षक वाले विद्यालय से जरूरत वाले विद्यालय में ही किया जाएगा

 

प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को सात साल (2017 के) बाद जिले के अंदर सामान्य तबादले का अवसर मिलेगा। हालांकि शिक्षक-छात्र अनुपात के अनुसार यह तबादले ज्यादा शिक्षक वाले स्कूलों से कम शिक्षक वाले स्कूलों में ही होंगे। बेसिक शिक्षा परिषद ने इसके लिए सोमवार को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं।

परिषद के अनुसार जिले के अंदर स्वेच्छा से तबादला व समायोजन अधिक शिक्षक वाले विद्यालय से जरूरत वाले विद्यालय में ही किया जाएगा। शिक्षक व शिक्षिका की आवश्यकता वाले किसी भी विद्यालय से तबादला व समायोजन नहीं किया जाएगा। शिक्षकों से लिए गए विकल्प के आधार पर यह तबादले किए जाएंगे। इससे पहले ज्यादा शिक्षक वाले व कम शिक्षक वाले स्कूलों की सूची जारी की जाएगी।

बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि इसके आधार पर शिक्षक अधिकतम 10 विद्यालयों का विकल्प देंगे। उन्हें कम से कम एक विद्यालय का विकल्प देना अनिवार्य होगा। अन्यथा उनका आवेदन निरस्त माना जाएगा। तबादले उस सीमा तक होंगे, जहां तक छात्र-शिक्षक अनुपात प्रभावित न हो। तबादलों के लिए डीएम की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय कमेटी होगी।

उन्होंने बताया कि 20 से 23 जून तक यू-डायस पोर्टल पर उपलब्ध छात्र संख्या के आधार पर कम व अधिक शिक्षक वाले विद्यालयों की सूची ऑनलाइन की जाएगी। 24 से 26 जून तक शिक्षक ऑनलाइन आवेदन करेंगे। 27 जून तक ऑनलाइन आवेदन की छायाप्रति बीएसए कार्यालय में जमा किया जाएगा। 28 जून को बीएसए द्वारा ऑनलाइन सत्यापन व डाटा लॉक करने की कार्यवाही की जाएगी। परिषद सचिव ने बताया कि तीस जून को तबादला सूची जारी की जाएगी।

समय से आवेदन पत्रों को करें अग्रसारित

प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक व शिक्षकों के ऑनलाइन तबादले की प्रक्रिया चल रही है। इस क्रम में अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवाार ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षक व मंडलीय सयुक्त शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया है कि निर्धारित समय 20 जून तक शिक्षकों के ऑनलाइन आवेदन को अग्रसारित कराना सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा है कि प्राप्त आवेदन-पत्रों को अग्रसारित करने की कार्यवाही काफी धीमी है। इसके कारण विभाग द्वारा निर्धारित समय में आवेदन पत्रों पर कार्यवाही सुनिश्चित किया जाना व्यवहारिक रूप से सम्भव नहीं दिख रहा है।

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