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शिक्षकों के गले की हड्डी बनी विद्यार्थियों की डीबीटी
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बस्ती। बेसिक शिक्षकों के लिए विद्यार्थियों की डीबीटी कराना गले की हड्डी बन गया है। कमो-बेश सभी विद्यालय के कुछ बच्चों का आधार या तो बना नहीं है या उसका प्रमाणीकरण नहीं हो रहा है। इस वजह से उनके अभिभावकों के खाते में रकम नहीं भेजी जा सकी।
इसे लेकर शिक्षक संघ ज्ञापन भी दे चुका है। वहीं, बीएसए अनूप कुमार के अनुसार शासन के निर्देशानुसार डीबीटी के लिए प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है।
बेसिक शिक्षा विभाग में एमडीएम, जूता-मोजा, स्वेटर, छात्रवृत्ति, बैग, किताब वितरण की योजनाएं चलाई जा रही हैं। शासन ने इन योजनाओं का लाभ देने के लिए संबंधित छात्र के खाते में सीधे रुपये ट्रांसफर किए जाने का निर्णय लिया है। इसलिए डीबीटी फॉर्म ऑनलाइन भरवाए जा रहे हैं। बिना प्रशिक्षण के यह कार्य शिक्षकों को दे दिया गया है। जानकार शिक्षकों से पूछकर डीबीटी फाॅर्म भरा जा रहा है। एक छात्र का डीबीटी भरने में 17 कालम भरने होते हैं। खास बात यह है कि यह काम एंड्रायड फोन पर ही हो रहा है। शिक्षकों का कहना है कि अगर वेबसाइट आदि में कंप्यूटर से फीडिंग करवाने का प्रावधान होता तो राहत मिलती। इसमें शिक्षकों को कई तरह की परेशानियां आ रही हैं। कई छात्रों का आधार ही नहीं बना हुआ है। इसके अलावा नेटवर्क की समस्या भी आती है।
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