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शिक्षकों के भुगतान की फाइलें अलमारियों में कैद

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 बांदा। जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय में लिपिकों की कमी के चलते कॉलेजों से संबद्ध किए गए लिपिकों का बोलबाला है। माध्यमिक शिक्षकों के विभिन्न भुगतान व अन्य कार्यों की फाइलें इन संबद्ध लिपिकों की अलमारियां में पड़ी हैं। निस्तारण के लिए शिक्षक कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं।

डीआईओएस कार्यालय में लंबे अरसे से स्टाफ का टोटा है। विभिन्न कॉलेजों के लगभग छह शिक्षकों को यहां संबद्ध करके काम चलाया जा रहा था। ये शिक्षक लिपिक के रूप में कई वर्षों से यहां जमे थे। अगस्त में अमर उजाला ने खबर प्रकाशित कर यह मुद्दा उठाया था। भाजपा के शिक्षक एमएलसी डॉ. बाबूलाल तिवारी ने भी डीआईओएस को पत्र भेजकर संबद्ध शिक्षकों का ब्योरा तलब किया था। इसके बाद कई संबद्ध शिक्षकों को उनके मूल नियुक्ति वाले कॉलेज वापस भेज दिया गया। इनके स्थान पर कुछ स्कूलों में कार्यरत लिपिकों को डीआईओएस कार्यालय में संबद्ध कर दिया गया है।

स्कूलों से आए लिपिक डीआईओएस कार्यालय के महत्वपूर्ण पटलों का कार्य संभाले हैं। राजकीय हाई स्कूल बड़ोखर बुजुर्ग से लाए गए लिपिक शिक्षकों का वेतन, मेडिकल अवकाश भुगतान, बजट आदि का कार्य देख रहे हैं। कई शिक्षकों ने नाम न बताते हुए कहा कि मेडिकल व अन्य भुगतान इत्यादि संबंधी तमाम फाइलें लिपिक की अलमारी में धूल खा रही हैं। इन्हें आगे नहीं बढ़ाया जा रहा। लिपिक अक्सर कार्यालय में नहीं मिलते। इससे शिक्षक परेशान हैं।

डीआईओएस को भी लिपिक गलत सूचना देकर गुमराह कर रहे हैं। शिक्षक एमएलसी डॉ. बाबूलाल तिवारी ने कहा है कि वह शिक्षक हित में इस मुद्दे पर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई कराएंगे।

स्टॉफ का अभाव है। शासन स्तर से नियुक्तियां होनी हैं। संबद्धीकरण से काम चलाया जा रहा है। शिक्षकों की फाइलें अनावश्यक रोकने की जानकारी नहीं है। इसका पता करेंगे। दोषी लिपिक पर कार्रवाई की जाएगी। -विजय पाल सिंह, डीआईओएस।

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