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कम संख्या पर पास के स्कूल में जाएंगे बच्चे, शिक्षक-छात्र अनुपात सही करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की कवायद

लखनऊ। बच्चों की कम संख्या - वाले परिषदीय विद्यालयों के बच्चे - पास के स्कूलों में पढ़ेंगे। शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर करने के लिए कम बच्चों वाले स्कूलों की पास के स्कूल - के साथ पेयरिंग (एकीकरण) की - जाएगी। शासन ने सोमवार को इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं।

 

निर्देश में कहा गया है कि जिन - स्कूलों में छात्र नामांकन कम है, वहां संसाधनों के अधिकतम प्रयोग के लिए - स्कूलों के साथ आपसी सहयोग की जरूरत है। ऐसे विद्यालयों को पास के विद्यालयों के साथ पेयरिंग कर एक - इकाई के रूप में चलाया जाएगा।

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बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी - डीएम को भेजे निर्देश में कहा है कि - कम छात्र नामांकन वाले विद्यालयों को चिह्नित कर डाटा तैयार कराएं। फिर बेहतर सुविधाओं व संसाधनों वाले पास के स्कूलों के साथ मैपिंग - की जाए। खंड शिक्षा अधिकारी ऐसे - विद्यालयों का भ्रमण कर पेयरिंग

प्रस्ताव बीएसए को देंगे। उन्होंने कहा है कि बीएसए, डीएम व सीडीओ को इससे अवगत कराएंगे। अंतर्विभागीय समन्वय से सुझाव लेकर विद्यालयों के पेयरिंग की कार्यवाही करेंगे। शिक्षकों के बीच कार्य व दायित्व का

निर्धारण, विद्यालयों की समय सारिणी, कक्षा आवंटन कर विद्यालय का संचालन सुनिश्चित कराएंगे। साथ ही बीएसए कार्यालय में इससे जुड़ी शिकायतों व उसके निस्तारण के लिए एक सेल भी बनाया जाएगा। 

कहीं 50 तो कहीं 20 छात्र संख्या आधार : शासन ने पेयरिंग के लिए छात्र संख्या निर्धारित नहीं की। ऐसे में बीएसए अलग-अलग संख्या को आधार बना रहे हैं। राजधानी लखनऊ व बदायूं के बीएसए ने 50 से कम नामांकन वाले तो मथुरा में 20 से कम नामांकन वाले स्कूलों व उनके पास के विद्यालयों की जानकारी मांगी है।

कम संख्या वाले स्कूलों में चलेगी बाल वाटिका

दीपक कुमार ने स्पष्ट किया है कि पेयरिंग के बाद खाली स्कूल बंद नहीं होंगे। नई शिक्षा नीति में पूर्व प्राइमरी शिक्षा पर जोर दिया गया है। ऐसे में तीन से छह साल के बच्चों के लिए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को बालवाटिका घोषित किया गया है। इसलिए संसाधनों के अधिकतम प्रयोग के दृष्टिगत शेष विद्यालयों का प्रयोग बाल वाटिका के रूप में किया जा सकेगा। इनको पास के प्राथमिक विद्यालयों का भाग माना जाएगा। यहां पर एक-एक ईसीसीई एजुकेटर तैनात करते हुए बच्चों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी

All Comments

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Ava Lust
19 September, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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Michaels Oert
12 September, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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Jordi Paul
28 August, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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