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16 साल बाद जनगणना... पहली बार जातियों की गिनती, खर्च होंगे 13 हजार करोड़
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने वर्ष 2027 में 16वीं जनगणना कराने की अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ जाति गणना भी कराई जाएगी। जनगणना की पूरी प्रक्रिया में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को जारी अधिसूचना में बताया, पहाड़ी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड व हिमाचल प्रदेश में जनगणना एक अक्तूबर, 2026 से, जबकि शेष राज्यों में एक मार्च, 2027 से
होगी। सरकार ने कहा है कि जनगणना के साथ ही जाति गणना भी की जाएगी। हालांकि अधिसूचना में जाति गणना का जिक्र नहीं है। अधिसूचना के अनुसार इस बार लोगों के लिए स्व-गणना का प्रावधान भी उपलब्ध कराया जाएगा।
आजादी के बाद 8वीं जनगणना देश में जनगणना प्रक्रिया शुरू होने के बाद से यह 16वीं और स्वतंत्रता के बाद आठवीं जनगणना है। संग्रहण, प्रेषण व भंडारण के समय डाटा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहद सख्त डाटा सुरक्षा उपाय लागू किए जाएंगे.
34 लाख गणनाकर्ता, 1.3 लाख जनगणना कर्मी कराएंगे गिनती
देशभर से जनसंख्या के आंकड़े उपलब्ध कराने का व्यापक कार्य करीब 34 लाख गणनाकर्ताओं और पर्यवेक्षकों व डिजिटल उपकरणों से लैस करीब 1.3 लाख कर्मियों के जरिये किया जाएगा। गणनाकर्ताओं व पर्यवेक्षकों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण इसी साल अक्तूबर में शुरू हो सकता है।
एनपीआर पर स्थिति अभी साफ नहीं: 2021 की जनगणना में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को भी अपडेट करने की योजना थी, लेकिन 2027 की अधिसूचना में इसे स्पष्ट नहीं किया गया है।
दो चरणों में प्रक्रिया...
पहला चरण : हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (एचएलओ) के तहत हर घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं की जानकारी एकत्र की जाएगी।
दूसरा चरण: जनसंख्या गणना (पीई) के तहत जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, सांस्कृतिक स्थिति और हर घर में हर सदस्य का विवरण एकत्र किया जाएगा।
सामाजिक-आर्थिक गणना हुई, आंकड़े जारी नहीं किए: 2011 में सामाजिक-आर्थिक व जाति जनगणना के नाम से सर्वेक्षण कराया गया था। जाति के आंकड़े जुटाए गए थे, पर कभी जारी नहीं हुए। बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना ने पिछले तीन वर्षों में जाति सर्वेक्षण कराए हैं।
आजादी के बाद यह पहला अवसर है, जब जनगणना के साथ जाति गणना भी होगी। पिछली व्यापक जाति आधारित गणना अंग्रेजों ने 1881 और 1931 के बीच कराई थी। आजादी के बाद से हर जनगणना से जाति को बाहर रखा गया था।
पिछली जनगणना में 1.21 अरब थे हम
देश में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी। जनगणना हर 10 साल में होती है। इस हिसाब से 2021 में अगली जनगणना होनी थी, पर कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।
2011 की जनगणना के अनुसार, देश की जनसंख्या 1,210,193,422 (1.21 अरब) थी। इसमें 62,37,20,000 (51.54%) पुरुष व 58,64,60,000 (48.46%) महिलाएं शामिल थीं।
2001 से 2011 के बीच जनसंख्या में 18.1 करोड़ से अधिक की वृद्धि हुई थी।
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Ava Lust
It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

Michaels Oert
It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

Jordi Paul
It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!
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