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शिक्षक चाहते हैं गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति

आगरा। देश का भविष्य निर्माण करने वाले परिषदीय शिक्षक लंबित मांगें पूरी न हो पाने परेशान हैं। बात पुरानी पेंशन बहाली की मांग की हो। या फिर कैशलेस इलाज सुविधा की। शिक्षक संगठन यूनाइनेट टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के पदाधिकारी कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। फिर भी मांगों पर सुनवाई नहीं हो पाई है। आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले आगरा के तहत आयोजित संवाद कार्यक्रम में संगठन पदाधिकारियों ने अपनी परेशानियां साझा कीं। कहा कि परिषदीय स्कूलों में तैनात सभी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाना चाहिए। तभी परिषदीय स्कूलों की शिक्षण गुणवत्ता में सुधार हो पाएगा। जिले में करीब 2491 परिषदीय विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में करीब ढ़ाई लाख छात्र-छात्राओं के नामांकन हैं। इन ढ़ाई लाख छात्र-छात्राओं को पढ़ाने, उनका भविष्य संवारने की जिम्मेदारी करीब साढ़े नौ हजार शिक्षक-शिक्षिकाओं के कंधों पर है। शिक्षकों में किसी की तैनाती शहरी क्षेत्र के विद्यालयों में हैं। तो सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाएं ऐसी भी हैं। जिन्हें शिक्षण कार्य के लिए शहर से कई किलोमीटर दूर बीहड़ के गांवों तक जाना पड़ता है। सर्द मौसम हो,तेज बारिश हो या फिर चिलचिलाती तेज धूप,सभी के सामने हर दिन समय पर स्कूल पहुंचने की चुनौती रहती है। साथ ही कोई भी चुनाव आने पर बीएलओ ड्यूटी भी निभानी पड़ती है। काम के अतिरिक्त बोझ से शिक्षक परेशान हैं। गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति दिए जाने की मांग कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि गैर शैक्षणिक कार्यों की वजह से विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य प्रभावित रहता है। समय से सिलेबस पूरा नहीं हो पाता है। विद्यालयों में सुविधाओं का अभाव है। इस वजह से शिक्षकों को परेशानी उठानी पड़ती है। पुरानी पेंशन स्कीम खत्म होने के कारण भी शिक्षकों की दिक्कत बढ़ गई है। सेवानिवृत्ति के बाद गृहस्थी की गाड़ी कैसे चलेगी। ये बात सभी शिक्षकों-शिक्षिकाओं को सता रही है।

 

अपनी लंबित मांगों को लेकर परिषदीय स्कूलों में तैनात सभी शिक्षक यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के बैनर तले कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। शिक्षकों के हित के लिए लखनऊ तक आवाज पहुंचा चुके हैं। छात्रों के हित के लिए भी आवाज उठा चुके हैं। ये शिक्षक ही हैं जो विषम परिस्थितियों में भी छात्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाते हैं। लक्ष्य पर निशाना साधने वाला बनाते हैं। जनपद में कई ऐसे विद्यालय भी हैं। जहां छात्रों की संख्या तो बहुत है। लेकिन शिक्षकों की कमी है। इस कमी की वजह से शिक्षकों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। शिक्षण कार्यों के साथ विद्यालय संबंधित अन्य प्रशासनिक कार्यों को बोझ भी खुद ही उठाना पड़ता है। शिक्षकों ने मांग की है कि जिन विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या कम है। वहां जल्दी ही नए शिक्षकों की तैनाती की जाए। जिससे शिक्षण गुणवत्ता में सुधार आए। प्रशासनिक कार्य भी अच्छे से हो पाएं। शिक्षकों ने बताया कि कई विद्यालयों के भवन जर्जर हो चुके हैं। यहां हर वक्त हादसे का खतरा रहता है। बच्चे भी डर के साये में पढ़ते हैं। विद्यालयों की मरम्मत हो जाए तो सभी को राहत मिल जाए। शिक्षकों ने बताया कि प्राथमिक विद्यालयों की हालत बारिश के मौसम में ज्यादा खराब हो जाती है। जगह जगह जलभराव और टपकती छतों के कारण शिक्षकों के साथ छात्रों की दिक्कतें बहुत बढ़ जाती हैं।

पुरानी पेंशन बहाली की मांग

परिषदीय स्कूलों के शिक्षक लंबे समय से पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके बाद भी शिक्षकों की ये मांग अब तक पूरी नहीं हो पाई है। शिक्षकों का कहना है कि पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर वह लगातार प्रदर्शन करते रहेंगे। जब तक मांग पूरी नहीं होगी। वह पीछे नहीं हटेंगे। शिक्षकों के मुताबिक पुरानी पेंशन स्कीम खत्म होने के कारण उनका भविष्य अधर में है। सेवानिवृत्ति के बाद उनका जीवन, घर गृहस्थी कैसे चलेगी। ये चिंता उन्हें रह रहकर परेशान करती है।

कैशलेस इलाज की सुविधा

शिक्षक संगठन, परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को कैशलैस इलाज की सुविधा प्रदान किए जाने की मांग कर रहे हैं। यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के पदाधिकारियों ने शिक्षकों को 10 लाख रुपये का कैशलैस बीमा सुविधा प्रदान किए जाने की मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि शिक्षक दूर दराज के क्षेत्रों में शैक्षणिक कार्यों के लिए जाते हैं। अपने परिवार से दूर रहते हैं। ऐसे में उन्हें कैशलेस इलाज की सुविधा मिल जाती है तो उन्हें बड़ी राहत मिल जाएगी। शिक्षकों के सामने खड़ी परेशानी आसानी से हल हो जाएगी।

नगर क्षेत्र में शिक्षकों की कमी

शिक्षकों ने बताया कि 2491 परिषदीय स्कूलों में करीब ढ़ाई लाख बच्चे पढ़ते हैं। इतनी छात्र संख्या पर केवल साढ़े नौ हजार शिक्षक तैनात हैं। नगर क्षेत्र में कई विद्यालय ऐसे हैं। जहां गिने चुने ही शिक्षक तैनात हैं। ऐसे में अगर किसी शिक्षक के सामने आकस्मिक स्थिति बन जाए। उसे छुट्टी लेनी पड़े तो विद्यालय का शैक्षणिक कार्य बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। अन्य कार्यों के लिए दिक्कत हो जाती है। शिक्षकों ने बताया कि नगर क्षेत्र के कई विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती किए जाने की जरूरत है।

सीसीएल और ईएल की मांग

शिक्षकों ने बताया कि उन्हें अवकाश नहीं मिल पाता है। महिला शिक्षिकाओं को सीसीएल मिलने में काफी दिक्कत होती है। शिक्षकों को अन्य राज्य कर्मचारियों की तरह ईएल की सुविधा नहीं मिल रही है। ऐसे में घर में जब कोई पारिवारिक कार्यक्रम होता है। तब शिक्षकों को छुट्टी मिलने में काफी दिक्कत होती है। शिक्षकों ने सीसीएल की प्रक्रिया को सरल और ईएल की सुविधा प्रदान किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हमारा भी परिवार है। हमें भी छुट्टी की जरूरत रहती है।

विद्यालय भवन बने सुंदर

यूटा पदाधिकारियों ने बताया कि जनपद में कई विद्यालय बुरी तरह जर्जर हो चुके हैं। कुछ जर्जर भवनों को ध्वस्त कर दिया गया है। कुछ विद्यालयों के मलबे नीलाम कर दिए गए हैं। इस वजह से छात्रों के सामने विकट समस्या खड़ी हो गई है। शिफ्टिंग के कारण दूसरे विद्यालयों में भी दिक्कत बढ़ गई है। एक क्लास में दो क्लास के बच्चे पढ़ रहे हैं। एक - दो कमरे के स्कूलों में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालय चल रहे हैं। गर्मी और बारिश के मौसम में क्लास में बैठना मुश्किल हो जाता है। नए हवादार भवनों का निर्माण किए जाने की जरूरत है।

हाइटेक बनाना होगा सिस्टम

परिषदीय स्कूलों के संचालन में भले ही हर महीने बड़ा बजट खर्च किया जाता है लेकिन इसका कोई बड़ा सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पा रहा है। वजह ये है कि निजी स्कूलों की तुलना में परिषदीय स्कूलों में आज भी सुविधाओं का अभाव है। कई परिषदीय स्कूलों के बच्चे आज भी जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं। कभी चप्पल तो कभी नंगे पांव ही एमडीएम खाने के लिए स्कूल पहुंच जाते हैं। जानकार बताते हैं कि कई परिषदीय स्कूलों में तो गत वर्ष की तुलना में नए वर्ष में दाखिले कम हो जाते हैं।

बिजली, पानी और सुरक्षा

यूटा पदाधिकारियों ने बताया कि कई विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। किसी विद्यालय में बाउंड्रीवॉल नहीं है। कई विद्यालयों में बिजली और पानी की परेशानी है। कई स्कूलों में शौचालय की समस्या है। इन सभी कमियों की वजह से शिक्षकों और छात्रों को दिक्कत उठानी पड़ती है। साथ ही प्राथमिक विद्यालयों में सुरक्षा के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है। कई प्राथमिक विद्यालयों में चोरी की वारदातें घटित हो चुकी है। शिक्षकों ने विद्यालयों की सुरक्षा और बिजली, पानी का पर्याप्त इंतजाम किए जाने की मांग की है।

जिले में करीब 2491 परिषदीय विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में करीब ढ़ाई लाख छात्र-छात्राओं के नामांकन हैं। इसके सापेक्ष शिक्षकों की संख्या काफी कम है। शिक्षकों की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है।

राजेंद्र राठौर - प्रदेश अध्यक्ष -यूटा

नगर क्षेत्र में कई विद्यालय ऐसे हैं। जहां गिने चुने ही शिक्षक तैनात हैं। आकस्मिक स्थिति बन जाने पर छुट्टी लेना मुश्किल हो जाता है। शिक्षकों क कमी के कारण शैक्षणिक कार्य बुरी तरह प्रभावित हो जाता है।

केशव दीक्षित - मंडल अध्यक्ष -यूटा

शिक्षक संगठन यूनाइनेट टीचर्स एसोसिएशन के सदस्य कई बार प्रदर्शन कर चुके हैं। फिर भी मांगों पर सुनवाई नहीं हो पाई है। मांगें नहीं माने जाने पर संगठन आगामी दिनों में वृहद प्रदर्शन कर सकता है।

बी पी बघेल - प्रदेश कोषाध्यक्ष- यूटा

शिक्षक संगठन पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर लंबे समय से कर रहे हैं। जब तक पुरानी पेंशन बहाली की मांग पूरी नहीं होगी। शिक्षक संगठन अपने हितों को लेकर संघर्ष करते रहेंगे।

के के शर्मा - जिला अध्यध - यूटा

पुरानी पेंशन स्कीम खत्म होने के कारण शिक्षकों का भविष्य अधर में पड़ गया है। सेवानिवृत्ति के बाद उनका जीवन, घर गृहस्थी कैसे चलेगी। ये चिंता उन्हें रह रहकर परेशान करती है। सुविधा मिलनी चाहिए।

धर्मेंद्र चाहर - शिक्षक

गैर शैक्षणिक कार्यों की वजह से विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य प्रभावित रहता है। समय से स्लेबस पूरा नहीं हो पाता है। गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति मिलनी चाहिए। तभी शिक्षण कार्य बेहतर हो पाएगा।

राजीव वर्मा - जिला महामंत्री - यूटा

चुनाव आते ही शैक्षणिक कार्य बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। शिक्षक चुनाव ड्यूटी में लगा दिए जाते हैं। इस पूरा असर शिक्षण कार्यों पर पड़ता है। छात्रों को काफी दिक्कत होती है। इससे छूट मिलनी चाहिए।

अशोक जादौन - जिला कोषाध्यक्ष

जिन विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या कम है। वहां जल्दी ही नए शिक्षकों की तैनाती की जाए। जिससे शिक्षण गुणवत्ता में सुधार आए। प्रशासनिक कार्य भी अच्छे से हो पाएं। शिक्षकों की कमी से काफी दिक्कत है।

आनंद शर्मा - शिक्षक

कई विद्यालयों के भवन जर्जर हो चुके हैं। यहां हर वक्त हादसे का खतरा रहता है। बच्चे भी डर के साये में पढ़ते हैं। विद्यालयों की मरम्मत हो जाए तो सभी को राहत मिल जाए।

अमित राजौरिया - शिक्षक

शिक्षक संगठन लंबे समय से परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों को कैशलैस इलाज की सुविधा प्रदान किए जाने की मांग कर रहे हैं। शिक्षकों को 10 लाख रुपये का कैशलैस बीमा दिया जाना चाहिए।

प्रवेश शर्मा - शिक्षक

महिला शिक्षिकाओं को सीसीएल मिलने में काफी दिक्कत होती है। कई बार आकस्मिक स्थिति में भी अवकाश नहीं मिल पाता है। सीसीएल स्वीकृत किए जाने की प्रक्रिया सरल किए जाने की जरूरत है।

पूजा खंडेलवाल - शिक्षिका

शिक्षकों को अन्य राज्य कर्मचारियों की तरह ईएल की सुविधा नहीं मिल रही है। ऐसे में घर में जब कोई पारिवारिक कार्यक्रम होता है। तब शिक्षकों को छुट्टी मिलने में काफी दिक्कत होती है।

सोनम शर्मा - शिक्षिका

जनपद में कई विद्यालय बुरी तरह जर्जर हो चुके हैं। कुछ जर्जर भवनों को ध्वस्त कर दिया गया है। कुछ विद्यालयों के मलबे नीलाम कर दिए गए हैं। यहां विद्यालय भवनों का निर्माण जल्दी होना चाहिए।

नीतेश शर्मा - शिक्षक

कई विद्यालयों में बाउंड्रीवॉल टूटी हुई हैं। इस वजह से निराश्रित गोवंश और आवारा श्वान विद्यालय में घुस आते हैं। इससे विद्यालय आने वाले छात्र-छात्राओं की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। दिक्कत दूर हो।

निधि श्रीवास्तव - शिक्षिका

कई बार विद्यालयों में चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। विद्यालय की सुरक्षा के लिए भी पुख्ता इंतजाम किए जाने की जरूरत है। विद्यालय का माहौल सुरक्षित होना चाहिए। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

सुशील शर्मा - शिक्षक

कई विद्यालयों में पेयजल की समस्या है। शासन प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। विद्यालय में पेयजल इंतजाम न होने की वजह से गर्मी के मौसम में सभी को काफी परेशानी उठानी पड़ती है।

ओमवीर सिंह - शिक्षक

कई विद्यालयों में बिजली का पर्याप्त इंतजाम नहीं है। पंखे और वाटर कूलर नहीं लगे हैं। गर्मी की शुरुआत होने वाली है। मेरी यही मांग है कि बिजली और शीतल पेयजल का इंतजाम किया जाए।

अनिल शर्मा - शिक्षक

निजी स्कूलों की तुलना में परिषदीय स्कूलों में आज भी सुविधाओं का अभाव है। कई परिषदीय स्कूलों के बच्चे आज भी जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं। सभी विद्यालयों में फर्नीचर का इंतजाम होना चाहिए।

अशोक शर्मा - शिक्षक

परिषदीय विद्यालयों को हाइटेक किए जाने की जरूरत है। सुविधाएं बढ़ेंगी तो छात्रों की संख्या में भी इजाफा होगा। सुविधाएं न होने कारण ही लोग अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में नहीं कराते।

निधि वर्मा - शिक्षिका

प्राथमिक विद्यालयों की हालत बारिश के मौसम में ज्यादा खराब हो जाती है। जगह जगह जलभराव और टपकती छतों के कारण शिक्षकों के साथ छात्रों की दिक्कतें बहुत बढ़ जाती हैं।

नीलम - शिक्षिका

परिषदीय स्कूलों के संचालन में भले ही हर महीने बड़ा बजट खर्च किया जाता है लेकिन इसका कोई बड़ा सकारात्मक नतीजा नहीं निकल पा रहा है। व्यवस्थाओं में बड़ा सुधार किए जाने की जरूरत है।

भुजवेंद्र सिकरवार - शिक्षक



All Comments

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Ava Lust
19 September, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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Michaels Oert
12 September, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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Jordi Paul
28 August, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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