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चंद्रशेखर आजाद ने 27,965 स्कूल मर्ज को असंवैधानिक बताया

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कम छात्र संख्या वाले सरकारी प्राइमरी स्कूलों को अब मर्ज करने का फैसला लिया है. वहीं योगी सरकार के इस फैसले पर नगीना सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने प्रतिक्रिया देते हुए इस फैसले का विरोध किया है.

नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा-"उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के 27,965 प्राथमिक विद्यालयों को मर्ज करने का निर्णय न सिर्फ शिक्षा विरोधी है, बल्कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21A, शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act 2009) और नीति-निर्देशक तत्वों के अनुच्छेद 46, सामाजिक न्याय की मूल भावना का स्पष्ट अवहेलना है.

चंद्रशेखर आजाद ने कहा-"सरकार की इस नीति से 1,40,000 शिक्षकों, 56,000 शिक्षा मित्रों और 56,000 रसोइयों के पद अप्रासंगिक हो जाएंगे. यह केवल शिक्षा नहीं, लाखों परिवारों की आजीविका पर सीधा प्रहार है. इस फैसले से सबसे बड़ा नुकसान गाँवों के बच्चों, विशेषकर दलित, आदिवासी, पिछड़े और गरीब तबकों को होगा. जिन स्कूलों को "छोटा" कहकर बंद किया जा रहा है, वे ही गाँवों के बच्चों के लिए आत्मविश्वास, सामुदायिक जुड़ाव और जीवन की बुनियादी पहचान हैं."

उन्होंने आगे लिखा-"जब सरकार कहती है कि "नजदीकी विद्यालय में मर्जर होगा", तो इसका अर्थ यह होता है कि अब बच्चों को 3 से 5 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ेगा. इसका सीधा असर यह होगा कि स्कूल ड्रॉपआउट दर बढ़ेगी. विशेष रूप से बेटियाँ बड़ी संख्या में स्कूल छोड़ने को मजबूर होंगी. इसके परिणामस्वरूप बाल श्रम और बाल विवाह जैसी कुप्रथाएँ फिर से सिर उठाएंगी और बच्चों की शिक्षा की निरंतरता टूट जाएगी."

बच्चों का भविष्य बंद किया जा रहा है

चंद्रशेखर आजाद ने आगे लिखा-अनुच्छेद 21A सभी बच्चों को 6 से 14 वर्ष की आयु में नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है, जिसे RTE Act 2009 की धारा 6 में स्पष्ट किया गया है कि हर बस्ती के पास स्कूल होना राज्य की जिम्मेदारी है. इसके साथ ही, अनुच्छेद 46 राज्य को निर्देश देता है कि वह शिक्षा और आर्थिक हितों में अनुसूचित जातियों, जनजातियों और समाज के कमजोर वर्गों का विशेष संरक्षण करें परन्तु यह मर्जर नीति तो उन्हें और अधिक हाशिए पर धकेलने वाली साबित होगी. मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहना चाहता हूँ कि स्कूल बंद नहीं हो रहे, बच्चों का भविष्य बंद किया जा रहा है. याद रखिए मुख्यमंत्री जी, स्कूल दूर तो बेटियाँ मजबूर!"

शिक्षा कोई spreadsheet नहीं, यह जीवन का पहला अधिकार

उन्होंने कहा-"हम यूपी सरकार से माँग करते हैं: 1. इस मर्जर नीति को तत्काल प्रभाव से रोका जाए. 2. हर गाँव में संविधान व RTE Act के अनुसार स्थानीय स्कूल की गारंटी दी जाए. 3. शिक्षा में निजीकरण और केंद्रीकरण के बजाय जन-भागीदारी और विकेंद्रीकरण को बढ़ावा दिया जाए. शिक्षा कोई spreadsheet नहीं, यह जीवन का पहला अधिकार है. जिसे मर्ज नहीं किया जा सकता और न संविधान को मूक दर्शक बनाया जा सकता है." 

 

All Comments

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Ava Lust
19 September, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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Michaels Oert
12 September, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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Jordi Paul
28 August, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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