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सड़क हादसे में शिक्षिकाओं की मौत से शिक्षकों में शोक की लहर

सफीपुर (उन्नाव)। कानपुर में हुए हादसे में दो शिक्षिकाओं की मौत और एक की हालत गंभीर होने की सूचना से साथी शिक्षक स्तब्ध रह गए। तमाम शिक्षक कानपुर पहुंचे। बीएसए ने शोक संदेश जारी किया और परिजनों को ढाढ़स बंधाया। उन्होंने रामा अस्पताल पहुंचकर घायल शिक्षिका का हालचाल लिया। बेहतर इलाज के लिए अस्पताल प्रबंधन की डीएम से फोन पर बात कराई। वहीं, स्कूली बच्चे और अभिभावक भी शोक में डूब गए।

 

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सफीपुर ब्लॉक के जमालनगर गैर एहतमाली कंपोजिट स्कूल की शिक्षिका ऋचा अग्निहोत्री, अंजुला मिश्रा और न्यामतपुर प्राथमिक स्कूल में तैनात शिक्षिका आकांक्षा मिश्रा मंगलवार सुबह कार से स्कूल आ रही थीं। कानपुर में रतन प्लानेट के सामने बस और कार की टक्कर में शिक्षिका अंजुला और आकांक्षा की मौत हो गई, जबकि ऋचा की हालत गंभीर है। हादसे की जानकारी से शिक्षकों में शोक की लहर दौड़ गई। बीएसए संगीता सिंह, बीईओ अनीता शाह सहित तमाम शिक्षक और दोनों गांवों के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कानपुर पहुंचे। जिन स्कूलों में शिक्षिकाएं तैनात थीं, उनमें छुट्टी कर दी गई।

जमालनगर गैर एहतमाली स्कूल में शिक्षिका ऋचा और अंजुला के अलावा सोनी सोनकर, सुमित अवस्थी, समर, गीता और शिक्षामित्र मेरम जेहरा व प्रीति सिंह तैनात हैं। वहीं, न्यामतपुर स्कूल में आकांक्षा मिश्रा के अलावा शिक्षिका किरन देवी और अमित कुमार की तैनाती है।

छात्रों में उदासी, अभिभावकों की आंखों से छलके आंसू

सफीपुर। दो शिक्षिकाओं की मौत और एक शिक्षिका के गंभीर घायल होने की सूचना से छात्रों में उदासी छा गई। शिक्षिकाओं के बारे में जानकारी देते रसोइयां और अभिभावकों की आंखों से आंसू छलक पड़े।

ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षिका अंजुला मिश्रा और ऋचा अग्निहोत्री, जमाल नगर कंपोजिट विद्यालय में वर्ष 2015 से तैनात थीं। स्कूल में तैनात रसोइया मीरा देवी व मीना और छात्र मौसमी, रूपा, युवराज, अनिकेत, सिमरन, स्वाती, जीत, महेश, पलक, तनिष्का, लक्ष्मी, कुलदीप, जीतेंद्र, रंजीत, आदित्य आदि हादसे की सूचना से मायूस दिखे। छात्रों ने बताया कि दोनों मैम खूब मन लगाकर पढ़ाती थीं। गलती होने पर डांटने और पीटने के बजाए पास बैठाकर प्यार से समझाती थीं। बताया कि अंजुला मैम किसी भी बच्चे के परिवार में दुख होने पर भावुक हो जाती थीं। कोई छात्र एक दिन स्कूल न पहुंचे तो उसका हालचाल लेने घर पहुंच जाती थीं। वह अक्सर अपने पास से फल, टॉफी आदि लेकर आती थीं।

न्यामतपुर प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका आकांक्षा मिश्रा के विषय में छात्रों में पूजा, शालिनी, आयुष, अंशिका, खुशनुमा, करिश्मा और सैफ ने बताया कि वह हर विषय की पढ़ाई कराने के साथ खेलकूद, गाना, नृत्य और संस्कार की बातें सिखाती थीं। हर कदम पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थीं। वह स्कूल भी समय से आती थीं। महिलाओं को उनकी मौत का पता चला तो रो पड़ीं, बोलीं, स्कूल आते और जाते समय घर के बाहर बैठीं महिलाओं से उनका हालचाल जानना आदत थी। आइसक्रीम विक्रेता की आवाज सुनाई देती ही बच्चों के बिना कहे खिलाती थीं। कॉपी, पेंसिल, पेन लाकर देना उनका स्वभाव था।

 

All Comments

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Ava Lust
19 September, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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Michaels Oert
12 September, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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Jordi Paul
28 August, 2019

It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

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