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स्कूलों से गायब हुए 19,948 बच्चे खोजने में जुटे परिषदीय शिक्षक
सेमरियावां। परिषदीय स्कूलों में सरकार की तरफ से काॅन्वेट विद्यालयों की तर्ज पर सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के बावजूद बच्चों की संख्या बढ़ने के बजाय हर साल कम हो रही है। जनपद में शैक्षिक सत्र 2023-24 के मुकाबले सत्र 2024-25 में 19,948 बच्चे घट गए, जो कि 16.78 प्रतिशत है। स्कूलों में बच्चों की संख्या घटने के बाद विभाग की तरफ से इन्हें खोजा रहा है, लेकिन इसका विभाग के पास कोई स्पष्ट जवाब नही है।
बेसिक शिक्षा विभाग के यू-डायस पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों पर गौर करें तो जनपद में 1242 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व कंपोजिट विद्यालय में शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में एक लाख 18 हजार 850 बच्चों का नामांकन हुआ था। वहीं वर्ष 2024-25 में कुल 98 हजार 902 बच्चों का ही नामांकन हो सका है। शैक्षिक सत्र 2023-24 के सापेक्ष शैक्षिक सत्र 2024-25 में 19948 बच्चे घट गए। यू-डायस पोर्टल पर छात्रों के डाटा में भारी गैप होने के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
स्कूलों में इतनी बड़ी संख्या में बच्चों को घटने कारण जानने के लिए सभी बीईओ को बीएसए ने नोटिस जारी किया है। नोटिस जारी होने के बाद शिक्षक बच्चों के घर-घर पहुंच कर विद्यालय न आने की जानकारी जुटा रहे हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई स्पष्ट कारण का पता नहीं चल पाया है। वर्तमान सत्र में नामांकन प्रक्रिया चल रही। उन्हें उम्मीद है कि पिछले वर्ष की अपेक्षा वर्तमान सत्र में बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। शिक्षक घर-घर पहुंच कर परिषदीय स्कूलों में सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं को छात्र अभिभावकों को बताने के साथ ही शिक्षा के लिए जागरूक कर नामांकन कराने पर जोर दे रहे हैं।
इसके बाद भी परिषदीय स्कूलों में बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। बीते दो सालों में बच्चों के घटने का कारण शिक्षा विभाग ढूंढ़ रहा है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो कुछ बच्चों के आर्थिक स्थित ठीक न होने के कारण वह दूसरे प्रदेशों में जाकर रह रहे हैं। कुछ बच्चे प्राइवेट स्कूलों में जाकर पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं परिषदीय स्कूलों में कितने बच्चे ऐसे हैं, जिनका आधार कार्ड आज तक नहीं बन पाया है। जिसके कारण उनका नाम यू-डायस पोर्टल पर दर्ज नहीं हो सका है।
परिषदीय स्कूलों में नामांकन घटने के हैं कई कारण
शिक्षकों की माने तो नामांकन घटने के कई कारण हैं। पहला कारण 2023-24 से आधार अनिवार्य हो जाने और विद्यालयों में नामांकन लेने वाले बच्चों की यूनिक आईडी जारी की गई है। बच्चे सरकारी या निजी विद्यालयों में से किसी एक में ही दाखिला ले सकते हैं। दूसरा कारण इस वर्ष पहली कक्षा में छह वर्ष के बच्चों का नामांकन किया जाना है। इसके चलते बच्चे निजी स्कूल की तरफ रुख कर रहे हैं।
घर-घर जाकर छात्रों का रिकॉर्ड जुटा रहे हैं शिक्षक
परिषदीय स्कूलों से करीब 19948 बच्चे गायब होने पर बीएसए के निर्देश पर शिक्षक घर-घर पहुंच कर रिकार्ड जुटा रहे हैं। एक फार्मेट पर शिक्षक गायब बच्चों को विवरण एकत्र कर रहे हैं। कुछ बच्चों को मुम्बई तो कुछ बच्चों को दूसरे विद्यालय में नामांकन दिखा कर खानापूर्ति की जा रही है। कुछ बच्चे सरकारी स्कूलों को छोड़ कर प्राइवेट स्कूलों में अपना नामांकन करा लिए हैं। जिन प्राइवेट स्कूलों में बच्चों ने अपना नामांकन कराया है, उस स्कूलों द्वारा बेसिक के यू-डायट पोर्टल से छात्रों का नाम निरस्त न कर अपना नया आईडी बना लिया है। जिससे आज भी उन बच्चों का नाम यू-डायस पोर्टल इम्पोर्ट बाक्स में दिख रहा है।
बच्चों की संख्या कम हुई है। इसके लिए शिक्षकों को घर- घर भेजकर ऐसे बच्चों को खोजा जा रहा है जो स्कूल आते थे, लेकिन अब नहीं आ रहे हैं। इसके साथ शिक्षकों को निर्देश दिए गए कि छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास करें।
-अमित कुमार सिंह, बीएसए
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Ava Lust
It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

Michaels Oert
It's ironic that when the then-understood Latin was scrambled, it became as incomprehensible as Greek; the phrase 'it's Greek to me' and 'greeking' have common semantic roots!

Jordi Paul
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