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200 से अधिक शिक्षकों का वेतन रोका गया, जानें वजह
सोनभद्र। सीएम डैशबोर्ड पर बेसिक शिक्षा विभाग की रैंक फिसलने के बाद सख्ती शुरू हो गई है। डीएम के निर्देश पर कुछ दिन पूर्व सभी दस बीईओ का वेतन रोका गया था। अब बच्चों की 70 फीसदी से कम उपस्थिति वाले 200 से अधिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक और प्रभारी प्रधानाध्यापकों का वेतन रोका गया है। अभी इतने ही अन्य पर कार्रवाई की तैयारी है।
जिले में 2070 परिषदीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों में नए सत्र में करीब 1.85 लाख छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। जिले के सैकड़ों स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति काफी कम है। हर महीने उपस्थिति को लेकर सीएम डैशबोर्ड की रैंकिंग जारी होती है। शासन की ओर से बच्चों की उपस्थिति को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन प्रधानाचार्य से लेकर अन्य स्टाफ इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। विभागीय आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो 10 ब्लॉकों में 600 से अधिक ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चों की उपस्थित 70 प्रतिशत से कम पाई गई है।
ऐसे में अधिकारियों ने इन स्कूलों में तैनात जिम्मेदार शिक्षकों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। अलग-अलग ब्लॉकों से बीईओ की ओर से कम उपस्थिति वाले करीब 600 से अधिक स्कूलाें के शिक्षकों के वेतन रोकने की संस्तुति की गई है। बीएसए कार्यालय की ओर से फिलहाल चतरा, राॅबर्ट्सगंज, चोपन सहित अन्य ब्लॉकों के करीब 200 से अधिक शिक्षकों का वेतन अग्रिम आदेश तक रोक दिया गया है।ज्यादातर शिक्षकों को इससे पहले नोटिस तक जारी नहीं हुआ था। अब सीधे वेतन रोके जाने से उनमें नाराजगी है। शिक्षकों का कहना है कि किसी को बेटी की शादी करनी है तो किसी को लोन की ईएमआई देनी है। किसी को इलाज कराना है। ऐसे में इस तरह की कार्रवाई से उनके लिए परेशानी खड़ी हो गई है।
कार्रवाई की जद में आने वाले शिक्षकों का कहना है कि कई ऐसे इलाके हैं, जहां की आबादी रोजगार के लिए पलायन करती है। कई बच्चों के परिजन मजदूरी पर निर्भर हैं। ऐसे में माता पिता मजदूरी करने जाते समय बच्चों को भी लेकर जाते हैं। कई बच्चे अपने छोटे भाई बहन की देखरेख करते हैं। बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर ऐसे लोगों से शिक्षकों से कई बार नोकझोंक भी हो जाती है। इस बारे में बीएसए मुकल आनंद पांडेय का कहना है कि कम उपस्थिति वाले विद्यालयों के शिक्षकों पर कार्रवाई की गई है।
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